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मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की धांधली रोकने का रोडमैप तैयार, प्रवेश- परिणाम और डिग्री आनलाइन करना अनिवार्य

विनोद गुप्ता मध्यप्रदेश 

भोपाल। मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा फर्जी डिग्री बांटने की धांधली रोकने का रोडमैप तैयार कर लिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव शैलेंद्र सिंह ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के नियमों और व्यवस्थाओं में बदलाव किया जा रहा है। अब प्रवेश लेने के साथ ही विश्वविद्यालय को छात्र का सारा ब्योरा निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के पोर्टल पर आनलाइन करना होगा। इसके बाद परीक्षा प्रवेश पत्र और परिणाम भी आनलाइन करना अनिवार्य होगा। इन्हें डिजी लाकर में भी डालना होगा, ताकि कहीं से कोई भी कहीं से प्रमाण पत्रों की वास्तविकता जान सके। यह नियम इसी सत्र से लागू होंगे।

गौरतलब है कि पिछले दिनों निजी विश्वविद्यालयों द्वारा पैसे लेकर डिग्री बांटने के फर्जीवाड़े का राजफाश किया था। सिंह ने कहा कि ऐसा होने के बाद किसी भी तरह की फर्जी डिग्री बांटने का खेल स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग से यह भी पूछा जाएगा कि किस विश्वविद्यालय ने अब तक कितने लोगों को पीएचडी की डिग्री बांटी है। उनके गाइड कौन थे और वे नियमों के अनुसार पीएचडी करवाने के लिए पात्र थे या नहीं।

बांट दी पीएचडी की 4000 डिग्री, 10 से 15 लाख रुपये किए वसूल

प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में पीएचडी की डिग्री बांटने का खेल ऐसा चल रहा है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान चार हजार लोगों को डाक्टरेट की उपाधि प्रदान कर दी गई। हर डिग्री की कीमत 10-15 लाख रुपये वसूली जाती है। यह बात कई राज्यों में पकड़े गए रैकेट में भी सामने आई है। तेलंगाना पुलिस ने कई ऐसे एजेंट की गिरफ्तारी भी की है, जो पैसे लेकर मप्र के निजी विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्री दिला रहे थे। नईदुनिया ने निजी विवि द्वारा बांटी गई पीएचडी डिग्रीधारियों का ब्योरा सूचना के अधिकार के तहत मांगा तो उच्च शिक्षा विभाग ने सूचना नहीं दी। जाहिर है विभागीय मिलीभगत से ही फर्जीवाड़ा चल रहा है।

पीएचडी के लिए संख्या तय होगी, गाइड का ब्योरा देने पर ही मिलेगी अनुमति : आयोग

मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष भारत शरण सिंह ने कहा कि पिछले वर्षों में निजी विश्वविद्यालयों ने अधिक संख्या में पीएचडी कराई है, लेकिन अब इसे नियंत्रित किया जा रहा है। पंजीयन से पहले निजी विश्वविद्यालयों को गाइड या पात्र सुपरवाइजर की जानकारी देनी होगी, तभी अनुमति मिलेगी। नईदुनिया में प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल का अभी एक साल ही हुआ है। जो गड़बडियां सामने आ रही हैं, उन्हें ठीक किया जाएगा। आयोग नियुक्तियों की प्रक्रिया को भी ठीक कर रहा है। निजी विवि में कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक के पद पर योग्य और साफ-सुथरे लोग बैठेंगे तो आधी गड़बड़ियां स्वत: रुक जाएंगी।

कुछ ही विश्वविद्यालय गड़बड़

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि मप्र में 41 निजी विश्वविद्यालय हैं, जिनमें कुछ ही गड़बडिय़ां कर रहे हैं। बाकी बहुत अच्छा काम भी कर रहे हैं। उनके विवि में प्लेसमेंट की स्थिति बहुत अच्छी है। हम भी चाहते हैं कि निजी विवि में किसी तरह की गड़बडियां न हों। फिलहाल निजी विवि में 25,197 छात्र पंजीकृत हैं

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