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मुद्रा का बंदीकरण ,नवीन 2000का नोट प्रचलन, बाजार से बंद करने का फैसला तानाशाही व जनता को संकट में डालने वाला फैसला – जितेंद्र त्यागी जिला प्रवक्ता आप

भीमसेन सिंह तोमर।

मुरैना/अंबाह। देश में 8 नवंबर 2016 रात 8 बजे,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 500 एवं 1000 के नोट के संदर्भ में नोटबंदी की घोषणा की,उसी रात 12 बजे से . अगले दिन से बैंको में लंबी लंबी लाइनें लगने लगीं,लोग बैंकों के सुरक्षाकर्मियों से लाठी खाते रहे,भूखे प्यासे लाइन में लगे रहे ताकि नोट जमा करके बदलवा सकें,एक निश्चित सीमा थी,कोई एक सैकड़ा भगवान को प्यारे हुए,फिर अचानक आरबीआई ने घोषणा की 2000 के नोट अब प्रचलन में नहीं है,यहां बताते चलूं अंतिम छपाई होने तक 31 मार्च 2018 में आरबीआई के मुताबिक 6.73 लाख करोड़ रुपए के नोट प्रचलन में थे,31 मार्च 2023 तक RBI ke मुताबिक लगभग 3.62 लाख करोड़ रुपए के नोट प्रचलन में थे,बाकी बचे 3.11 लाख करोड़ रुपए पहले ही बैंकों के पास पहुंच गए थे,अब बचे 3.62 लाख करोड़ रुपए जिसको बैंक में जमा करने को कहा गया है,अब मुद्दे की बात ये है कि बैंक में आप 2000 के नोट बिना किसी आईडी प्रूफ के बदल सकते हैं, आरबीआई के मुताबिक एक बार में एक व्यक्ति 20000 रुपए के नोट बदल सकता है,लेकिन इसकी कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है, अब प्रश्न ये है जिनके पास काला धन होगा ,और चूंकि किसी मध्यम वर्गीय व्यक्ति,या गरीब व्यक्ति के पास 2000 के नोट हैं नहीं, हां उनके पास जरूर होगा जिन के पास कलाधन है,इनमें अपराधी,नक्सली,माओवादी,भ्रष्टाचारी,इन सबको मौका मिल गया है, कोई भी अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट कर सकता है,और तो और ये जो पहले से बैंको में 3 लाख 11 हजार जमा हो चुके हैं उनका तो कुछ अता पता नहीं है,देश की मासूम जनता के मन में बस यही प्रश्न उठ रहा है कि ये नोट बदली है या धन बदली जो काला धन सफेद कर देगी।

जितेंद्र त्यागी
जिला प्रवक्ता
आम आदमी पार्टी

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