दतिया। स्वामी विवेकानंद व्यक्ति नहीं एक विचार है उनके व्यक्तित्व, उनका दर्शन इतना व्यापक विषय है कि उसे एक सीमित समय में नहीं बांधा जा सकता। उक्त उद्गार संस्कृत भारती के जिला दतिया जिला संपर्क प्रमुख ऋषिराज मिश्रा ने संस्कृत भारती के साप्ताहिक मिलन समारोह,जो दिनांक 12 /01/ 23 को दीपशिखा मंच श्रीअवध बिहारी मंदिर में स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर व्यक्त किए।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम मां सरस्वती के पूजन के साथ संस्कृत भारती का ध्येय मंत्र सभी उपस्थित सदस्यों द्वारा पढ़ा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत भारती के जिलाध्यक्ष व पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ने की एवं मुख्य वक्ता के रूप में राजेश लिटोरिया उपाध्यक्ष संस्कृत भारती रहे।
कार्यक्रम की रूपरेखा संस्कृत भारती के जिलामंत्री मदन मोहन व्यास ने रखते हुए कहा की हम सबको संस्कृत जन जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिवद्ध होना चाहिए और सभी सदस्यों का स्वागत किया।
इस अवसर पर विनोद मिश्र सुरमणी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद को एक समाज, समुदाय तक सीमित नहीं किया जा सकता है। इस क्रम में संस्कृत भारती के संभागीय संयोजक डॉ हरेन्द्र भार्गव ने कहा कि हमारा वार्षिक कैलेंडर तिथि के अनुसार होना चाहिए, हम लोग अपना एवं अपने बच्चों का जन्म तिथि अनुसार मनाएं यह हमारे लिए गौरव की बात होगी।
मुख्यवक्ता राजेश लिटोरिया जी कहा की व्यक्ति कपड़े पहनकर महान नहीं बनता उसके चारित्रिक गुण, उसके नैतिक मूल्य उसको महान बनाते हैं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण स्वामी विवेकानंद जी है जिन्होंने भारत की संस्कृति सभ्यता का झंडा पूरे विश्व में फहराया। किसी भी देश की संस्कृति संस्कार देश को महान बनाते हैं और संस्कृति संस्कार को बचाने के लिए संस्कृत का अध्ययन आवश्यक है। धर्मेंद्र अग्रवाल ने कहा कि हम बच्चों को छोटी उम्र से संस्कारवान बनाएं इसी क्रम में कपिल तांबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन अनिल कुमार तिवारी ने व्यक्त करते हुए कहा कि यह विचार गोष्ठी सिर्फ एक हाल तक नहीं होनी चाहिए बल्कि हमें बाहर आकर के लोगों को इस ओर प्रेरित करने की आवश्यकता है। तब हम समाज और देश को कुछ देने जैसा काम कर सकते हैं। कार्यक्रम में रामजीशरण राय मीडिया प्रमुख संस्कृत भारती दतिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। संचालन पूरन चंद शर्मा ने किया और आभार प्रदर्शन ऋतुराज सेन ने किया।